
सुरेंद्र पाथ्रीकर,परभणी– हाल ही समुचे देश मे गणेशोत्सव मनाया जा रहा है और गणेशोत्सव का पर्व केवल भक्ति और आनंद का उत्सव नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक संदेश भी देता है। भगवान श्रीगणेश का वाहन मूषक है। प्रथमदृष्ट्या यह सामान्य जीव लग सकता है, परंतु भारतीय संस्कृति में हर प्रतीक का गूढ अर्थ छुपा हुआ है।
गणपति, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धिदाता कहा जाता है, बुद्धि, विवेक और समृद्धि के देवता हैं। वहीं उनका वाहन मूषक अत्यंत छोटा, परंतु चपल और तीव्र गति वाला जीव है। मूषक का स्वभाव अंधेरे कोनों में घुसना, हर वस्तु को कुरेदना और कभी न रुकना होता है। यही मानवी मन का प्रतीक माना गया है।
गणपति और मूषक का प्रतीकात्मक संदेश–
मूषक हमारी इच्छाओं और वासनाओं का प्रतीक है। अगर इन्हें अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो यह जीवन को नष्ट कर सकती हैं।
जब मूषक गणेशजी के चरणों में बैठता है, तब यह संदेश देता है कि अगर मन को विवेक और बुद्धि (गणपति) के अधीन कर दिया जाए, तो जीवन सफल और संतुलित होता है।
मूषक यह भी दर्शाता है कि चाहे कितनी भी छोटी या साधारण शक्ति क्यों न हो, सही मार्गदर्शन और अनुशासन मिलने पर वह भी महान कार्य कर सकती है।
गणेशजी और मूषक का संगम हमें सिखाता है कि बुद्धि के बिना शक्ति व्यर्थ है, और शक्ति के बिना बुद्धि अधूरी।गणपति और उनका मूषक हमें हमेशा यह सिखाते हैं कि मन को नियंत्रण में रखकर और विवेक के मार्ग पर चलकर किसी भी विघ्न को पार किया जा सकता है।
गणेशजी को दुर्वा और अपामार्ग चढ़ाने का रहस्य–
गणेशोत्सव के अवसर पर हर भक्त भगवान श्रीगणेश को मोदक, लड्डू, फूल, दुर्वा और अपामार्ग का फुलअर्पित करता है। इनमें से दुर्वा अपामार्ग एक प्रकार का वनस्पति पुष्प का विशेष महत्व है। यह केवल पूजा की परंपरा नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारणों से जुड़ा हुआ है।
दुर्वा चढ़ाने का कारण–
दुर्वा में शीतलता और औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर और मन की उष्णता को शांत करते हैं।
गणेशजी की मूर्ति पर दुर्वा चढ़ाना यह प्रतीक है कि भक्त अपने क्रोध, कामना और अहंकार की गर्मी को शांत करने के लिए गणपति को समर्पित करता है।
अपामार्ग चढ़ाने का कारण-
अपामार्ग एक ऐसा पौधा है जो हर प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उगता है। यह सहनशीलता और दीर्घायु का प्रतीक है।
गणेशजी को अपामार्ग अर्पित करने का संदेश यह है कि भक्त अपने जीवन में हर परिस्थिति में धैर्य और स्थिरता बनाए रखे।
आयुर्वेद के अनुसार अपामार्ग में भी औषधीय गुण होते हैं, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
संदेश–
गणेशजी को दुर्वा और अपामार्ग अर्पित करने की परंपरा हमें यह सिखाती है कि मन की उष्णता को शांत कर, धैर्य और विवेक के साथ जीवन जीने पर ही विघ्नों से मुक्ति मिलती है।
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